About Shree Premanand Ji Maharaj
About Shree Premanand Ji Maharaj

About Shree Premanand Ji Maharaj | श्री प्रेमानंद जी महाराज के बारे में

About Shree Premanand Ji Maharaj in wikipedia | श्री प्रेमानंद जी महाराज के बारे में

प्रेमानंद जी महाराज भारत के मशहूर कथावाचक हैं। हम आपको बता दे की प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन को सुनने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु ऑनलाइन ऑफलाइन उनके साथ जोड़ते हैं उनके द्वारा कही गई बातें करोड़ भारतीय के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। प्रेम जी महाराज को वृंदावन महाराज के रूप में जाना जाता हैं। उनका आश्रम वृंदावन में स्थित हैं। यूट्यूब पर उनका खुद का चैनल भी है जहां पर वह लगातार विभिन्न विषय पर लोगों का मार्गदर्शन करते हैं। कई लोग उनसे मिलने के लिए वृंदावन भी जाते हैं।

प्रेमानंद जी महाराज को पीले बाबा के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि वह हमेशा पीले वस्त्र धारण करते हैं। ऐसे में लोगों के मन में प्रेमानंद जी महाराज के नीचे जीवन के बारे में जानने की सूखता तेजी के साथ बढ़ रही है कि प्रेमानंद जी महाराज कौन है? प्रारंभिक जीवन पारिवारिक जानकारी (Premanand Ji Maharaj Family) प्रेमानंद जी महाराज का सन्यासी जीवन उनके प्रमुख प्रवचन इत्यादि चीजों के बारे में अगर आप नहीं जानते हैं तो आज के आर्टिकल में हम आपको Premanand Ji Maharaj Jeevan Parichay संबंधित जानकारी आपके साथ साझा करेंगे इसलिए आर्टिकल पर बने रहे हैं आईए जानते हैं-

About Shree Premanand Ji Maharaj

Shree Premanand Ji Maharaj Biography – Overview

Full Name ( पूरा नाम )अनिरुद्ध कुमार पाण्डेय
Famous Name ( प्रसिद्ध नाम )प्रेमानंद जी महाराज
Birth Place ( जन्म स्थान )अखरी गांव, सरसोल ब्लॉक, कानपुर, उ.प्र.
Date of Birth ( जन्म )1972
Age ( उम्र )60 वर्ष
Name Of Guru ( गुरु जी का नाम )श्री हित गोविंद शरण जी महाराज
Address ( आश्रम का पता )श्री हित राधा केली कुंज वृन्दावन परिक्रमा मार्ग ,वरहा घाट, अपोजिट टू भक्तिवेदांता हॉस्पीटल,राधारमण कॉलोनी , वृन्दावन , उत्तर प्रदेश 281121
Profession (व्यवसाय/पेशा)संत, योगी, लेखक, कवि, वक्ता
religion ( धर्म )हिंदू
Caste ( Caste )ब्राह्मण

Why is the narrator Shree Premanand Ji Maharaj famous? | कथावाचक श्री प्रेमानंद जी महाराज क्यों प्रसिद्ध हैं?

कथावाचक के प्रेमानंद जी महाराज की उपस्थिति है तो हम आपको बता दें कि प्रेमानंद जी महाराज अपने कथा और प्रवचन के माध्यम से लोगों को सही मार्ग पर चलने प्रेरणा देते हैं ऐसा कहा जाता है कि प्रेमानंद जी महाराज को भगवान भोलेनाथ ने साक्षात दर्शन दिए थे यही वजह है कि लोग उनके पास अपनी समस्या लेकर आते हैं ताकि जीवन के जो भी उनके दुख और तकलीफें हैं उनका निवारण प्रेमानंद जी महाराज के द्वारा हो सके कथावाचक प्रेम जी महाराज के बारे में एक  बहुत ही रोचक जानकारी है उनकी दोनों किडनी खराब हो चुकी है फिर भी वह एक स्वस्थ व्यक्ति के तौर पर जीवन जी रहे हैं यही उनके चमत्कार का सबसे बड़ा प्रमाण है

Shree Premanand Ji Maharaj श्री प्रेमानंद जी महाराज की पारिवारिक जानकारी :-

पिता का नामशंभू पांडे
माता का नामरमादेवी
पत्नी का नामअविवाहित
भाई का नामज्ञात नहीं

Shree Premanand Ji Maharaj Early Life :-

प्रेमानंद महाराज जी का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में स्थित सरसो नामक एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। इनके बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है।  बाल अवस्था से इनके ऊपर आध्यात्मिकता का विशेष प्रभाव रहा था क्योंकि उनके घर में सभी लोग भक्ति की भावना में विलीन दे जिसके कारण उनके मन में भी सांसारिक मोह माया के पति कोई मोह नहीं था और 13 साल की उम्र में इन्होंने अपना घर जाकर ब्रह्मचारी के रूप में अपना जीवन व्यतीत करने का फैसला किया यही से उनके आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत होती  हैं। प्रेमानंद जी महाराज के परिवार में उनके दादा और उनके पिता दोनों ही संत थे इसलिए उन्होंने भी संत मार्ग का चयन किया था

Shree Premanand Ji Maharaj Facts :-

  • प्रेमानंद जी महाराज एक आध्यात्मिक गुरु और संत हैं, जिन्हें लोग वृंदावन वाले महाराज जी के नाम से जानते हैं |
  • प्रेमानंद जी महाराज का असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे हैं |
  • प्रेमानंद जी महाराज कोई भी सोशल मीडिया अकाउंट पर एक्टिव नहीं है |
  • प्रेमानंद महाराज बचपन में उनका नाम  नाम अनुरोध कुमार पांडे रखा गया |
  • प्रेमानंद जी महाराज  दोनों किडनी खराब है फिर भी वह जिंदा है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है |
  • 2023 के मुताबिक उनकी उम्र 60 साल है |
  • प्रेमानंद महाराज एक अच्छे मोटिवेशनल स्पीकर भी माने जाते हैं |

Shree Premanand Ji Maharaj के आध्यात्मिक जीवन (सन्यासी जीवन) की शुरुआत :-

प्रेमानंद जी महाराज ने अपने आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत जब वह कक्षा 9 में पढ़ते थे तब उन्होंने देने का फैसला किया उन्होंने अपना निर्णय अपनी मां को बताया और फिर घर का त्याग कर कर 13 साल की छोटी उम्र में ब्रह्मचारी के रूप में अपना जीवन व्यतीत करने का निर्णय लिया प्रेमानंद जी महाराज अपने आप नैतिक ब्रह्मचर्य में विकसित किया गया उनका नाम आनंद स्वरूप ब्रह्मचारी रखा गया और आध्यात्मिक व्यक्ति के रूप में उन्होंने अधिकांश जीवन गंगा नदी के तट पर बिताया. और गंगा मैया को अपनी दूसरी मां बना लिया उनके बारे में कहा जाता है कि भूखे प्यासे बिना कपड़ों के वह गंगा घाट में घूमा करते थे और हरिद्वार और वाराणसी के बीच कड़ाके के सर्दी में उन्होंने गंगा में तीन बार स्नान करके अपने दैनिक दिनचर्या का पालन करते थे प्रेमानंद महाराज बिना भोजन के उपवास करते थे उनके जीवन का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट गंगा घाट पर रहने वाले स्वामी जी की सलाह पर और श्री नारायण दास भक्तमाली के एक शिष्य की मदद से महाराज जी मथुरा जाने वाली ट्रेन में सवार हो गए। और वृंदावन पहुंच गए जहां पर उन्हें मंदिर में काम करने वाले एक संत ने कहा कि आपको इस मंदिर में अपनी सेवा देने का अवसर जरूर प्राप्त होगा 10 साल तक अपने सद्गुरु देव की सेवा में अपना जीवन समर्पित किया

Shree Premanand Ji Maharaj के अनमोल विचार (Anmol Vichar) :-

  1. Shree Premanand Ji Maharaj कहते है की ब्रह्मचर्य की रक्षा करना चाहिए | ब्रह्मचर्य बहुत बड़ा अमृत तत्व है |
  2. प्रेमानंद जी महाराज कहते है की आज के युग में ज्यादा बोलने वाले लोग धोखा खाते हैं और जो लोग चुप रहते हैं वह अपना काम आसानी से पूरा कर लेते हैं और ऐसे लोग ही जीवन में सफल  होते हैं
  3. प्रेमानंद महाराज  कहना है कि यदि आपके जीवन में कोई भी संकट आए तो आप सोच समझ कर दूसरे व्यक्ति से मदद ले क्योंकि विपत्ति कुछ समय के लिए होती है लेकिन मदद जिंदगी भर एहसान के रूप में आपके ऊपर कर्ज रहेगा
  4. प्रेमानंद जी महाराज Shree Premanand Ji Maharaj कहते है की ब्रह्माण्ड की सभी शक्तिया तभी तुम्हारे पास होगी तुम ह्रदय मन और वाणी से मधुर होंगे
  5. प्रेमानंद जी महाराज कहते है की  यदि किसी बच्चे को तुम कोई भी चीज उपहार के तौर पर नहीं देते हो तो वह कुछ समय के लिए रोएगा लेकिन संस्कार अगर नहीं देते हो तो जीवन भर उसे रोना पड़ेगा
  6. प्रत्येक व्यक्ति को भगवान् श्री हरी का जप करते रहना चाहिए इस से व्यक्ति को परेशानियों से निजात मिलती है
  7. premanand govind sharan ji maharaj गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है वह लोग जो तुम्हारी बुराई करते हैं वह जिंदगी भर करेंगे जब तक तुम जिंदा हो चाहे तुम अच्छा कार्य करो या बुरा कार्य इसलिए शांत रहकर अपना कर्म करते रहो। निंदा से मत घबराओ निंदा उसी की होती है जो जिंदा है मरने के बाद व्यक्ति तो सिर्फ तारीफ ही करता है।

Shree Premanand Ji Maharaj के आध्यात्मिक जीवन (सन्यासी जीवन) की शुरुआत

Shree Premanand Ji Maharaj ने अपने आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत जब वह कक्षा 9 में पढ़ते थे तब उन्होंने देने का फैसला किया उन्होंने अपना निर्णय अपनी मां को बताया और फिर घर का त्याग कर कर 13 साल की छोटी उम्र में ब्रह्मचारी के रूप में अपना जीवन व्यतीत करने का निर्णय लिया प्रेमानंद जी महाराज अपने आप नैतिक ब्रह्मचर्य में विकसित किया गया उनका नाम आनंद स्वरूप ब्रह्मचारी रखा गया और आध्यात्मिक व्यक्ति के रूप में उन्होंने अधिकांश जीवन गंगा नदी के तट पर बिताया. और गंगा मैया को अपनी दूसरी मां बना लिया उनके बारे में कहा जाता है कि भूखे प्यासे बिना कपड़ों के वह गंगा घाट में घूमा करते थे और हरिद्वार और वाराणसी के बीच कड़ाके के सर्दी में उन्होंने गंगा में तीन बार स्नान करके अपने दैनिक दिनचर्या का पालन करते थे प्रेमानंद महाराज बिना भोजन के उपवास करते थे   उनके जीवन का सबसे बड़ा टर्निंग प्वाइंट गंगा घाट पर रहने वाले स्वामी जी की सलाह पर और श्री नारायण दास भक्तमाली के एक शिष्य की मदद से महाराज जी मथुरा जाने वाली ट्रेन में सवार हो गए। और वृंदावन पहुंच गए जहां पर उन्हें मंदिर में काम करने वाले एक संत ने कहा कि आपको इस मंदिर में अपनी सेवा देने का अवसर जरूर प्राप्त होगा 10 साल तक अपने सद्गुरु देव की सेवा में अपना जीवन समर्पित किया

Shree Premanand Ji Maharaj का भक्ति के लिए वृन्दावन में आगमन वृंदावन वाले महाराज

भक्ति के लिए वृंदावन आने की पीछे की कहानी काफी रोचक है हम आपको बता दें कि एक दिन वह बनारस में पेड़ के नीचे ध्यान मुद्रा में विलीन   हैं तभी श्री श्यामा श्याम की कृपा से वे वृंदावन की महिमा के प्रति आकर्षित हुए। इसके बाद राम रासलीला में वह सम्मिलित हो गए एक महीना हुआ लगातार इस रासलीला में प्रतिदिन गंगा स्नान के बाद जाया करते थे सुबह के समय श्री चैतन्य महा प्रभु की लीला और रात में श्री श्यामा श्याम की रास लीला देखना था  इसके बाद उनके जीवन में काफी बदलाव आया और उन्होंने फैसला किया कि वह वृंदावन जाकर भगवान बांके बिहारी के भक्ति में अपना पूरा जीवन समर्पित कर देंगे यही से उनके वृंदावन जाने की यात्रा शुरू होती हैं।

Shree Premanand Ji Maharaj Famous Pravachan

Shree Premanand Ji Maharaj के प्रमुख प्रवचन कौन-कौन से हैं उसकी पूरी सूची अगर आप जाना चाहते हैं तो आप यूट्यूब पर जाकर सर्च कर सकते हैं वहां पर आपको प्रेमानंद जी महाराज के सभी प्रमुख प्रवचन की प्लेलिस्ट मिल जाएगी

श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज जिन्हें लोकप्रिय रूप से प्रेमानंद महाराज के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय हिंदू आध्यात्मिक गुरु, संत और दार्शनिक हैं। वे राधा कृष्ण के उपासक हैं। उनका आश्रम श्री हित राधा केली कुंज वृंदावन में है। उनकी प्रतिष्ठित सोशल मीडिया उपस्थिति उनके प्रचार से बचने और अपने प्रसिद्ध अनुयायियों को दूसरों से अलग तरह से न व्यवहार करने के कारण है।

उनके सतसंग और निजी बातचीत अपनी सादगी और आध्यात्मिक सूक्ष्मता के लिए जानी जाती हैं। प्रेमानंद महाराज राधावल्लभ संप्रदाय से ताल्लुक रखते हैं। 

प्रारंभिक जीवन

परिवार

प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज का जन्म 1972 में कानपुर के पास सरसौल ब्लॉक के अखरी गांव में हुआ था। प्रेमानंद महाराज का पहले नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे था। उनकी माता का नाम श्रीमती था. रमा देवी और पिता का नाम शंभू पांडे था। 13 साल की उम्र में उन्होंने अपना पैतृक घर छोड़ दिया और संन्यास ले लिया।

आध्यात्मिक शिक्षा और वृन्दावन आगमन

प्रेमानंद जी महाराज ने आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत को चिह्नित किया। नैष्ठिक ब्रह्मचर्य की दीक्षा लेने और उसके बाद संन्यास ग्रहण करने के बाद महाराज जी को आनंदस्वरूप ब्रह्मचारी नाम दिया गया था। महावाक्य स्वीकार करने पर उनका नाम स्वामी आनन्दाश्रम रखा गया। महाराज जी ने कभी भी आश्रम के पदानुक्रमित जीवन को स्वीकार नहीं किया, इस प्रकार उन्होंने अपना अधिकांश जीवन वाराणसी में गंगा के तट पर एक आध्यात्मिक साधक के रूप में बिताया। श्री श्यामा-श्याम के आशीर्वाद से, एक दिन वह बनारस में एक विशाल पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान करते हुए वृन्दावन के वैभव की ओर आकर्षित हुए। तभी एक साधु ने उनसे अगले दिन रास लीला देखने का अनुरोध किया। महाराज जी के बार-बार मना करने के बावजूद भी वह संत अपनी बात पर कायम रहे और अंततः महाराज जी ने इसे ईश्वर की इच्छा मान लिया और चले गये।

गुरु

श्री हित मोहित मराल गोस्वामी जी ने “शरणगति मंत्र” के माध्यम से महाराज जी को राधावल्लभी संप्रदाय में दीक्षित किया। कुछ दिनों बाद, पूज्य श्री गोस्वामी जी के आग्रह पर, महाराज जी अपने वर्तमान सद्गुरुदेव, पूज्य श्री हित गौरांगी शरणजी महाराज, जिन्हें बड़े गुरुजी भी कहा जाता है, से मिले, जो सहचरी भव के सबसे सम्मानित और प्रसिद्ध संतों में से एक थे। पूज्य श्री हित गौरांगी शरणजी महाराज ने उन्हें “निज मंत्र” और विरक्त वेश दिया, जो “सहचरी भाव” और “नित्य विहार रस” की दीक्षा है, यानी इस प्रकार, पूज्य महाराज जी रसिक संतों में प्रवेश कर गए।

श्री हित राधा केलि कुंज ट्रस्ट वृन्दावन

श्री हित राधा केलि कुंज आश्रम

श्री हित राधा केली कुंज ट्रस्ट वृन्दावन 2016 में स्थापित एक गैर-लाभकारी संगठन है। संगठन समाज और उसके लोगों की बेहतरी और उत्थान के लिए काम करता है। संगठन भारतीय आध्यात्मिक प्रणाली के सिद्धांतों का पालन करके व्यक्तियों, समाज और राष्ट्र के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। सामाजिक कल्याण, स्वास्थ्य, आंतरिक वातावरण और आध्यात्मिकता से संबंधित कई सराहनीय पहल राधा केली कुंज के मिशन का हिस्सा हैं। वृन्दावन धाम में सैकड़ों संतों को उनके आध्यात्मिक पथ को जारी रखने में मदद करने के लिए, ट्रस्ट उन्हें आश्रम के अंदर और बाहर दोनों जगह आवास और भोजन प्रदान करता है। ट्रस्ट न केवल इन संतों के लिए आवास की आपूर्ति करता है, बल्कि उनके भोजन, कपड़े, चिकित्सा देखभाल और कई अन्य आवश्यकताओं की भी आपूर्ति करता है।

आध्यात्मिक शिक्षाएँ और दर्शन

श्री प्रेमानंद जी महाराज की आध्यात्मिक यात्रा उपाधियों और पदानुक्रमों को पार करते हुए, शुद्ध, अटूट भक्ति का प्रमाण बन गई। प्रेमानंद दर्शन के अनुसार, आध्यात्मिकता जीवन, अस्तित्व और सत्य का सार है! आध्यात्मिक बारीकियों को जानें और अपनी आत्मा में स्थित हो जाएं। और हर किसी के जीवन में गुरु का बहुत महत्व होता है। हमारे सभी शास्त्रों में गुरु की उपयोगिता और महत्ता का वर्णन किया गया है। गुरु के बिना ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती। भगवान के पवित्र नाम का निरंतर जाप करें। कोई भी सांस व्यर्थ नहीं जानी चाहिए. ईश्वर के साथ एकता की भावना पैदा करें। भगवान, गुरु तथा शास्त्रों की आज्ञा के अनुसार आचरण करें। दैवीय कृपा में अटूट विश्वास बनाए रखें। आध्यात्मिक शक्ति व्यक्तिगत और सामाजिक रिश्तों में सामंजस्य बनाए रखती है। एक नकारात्मक चरित्र बहुत खतरनाक हो सकता है; अपना चरित्र खराब मत करो. ब्रह्मचर्य (ब्रह्मचर्य) की अमूल्य संपत्ति को संरक्षित करें, जो एक स्वस्थ, संतुलित और आध्यात्मिक रूप से उन्मुख आध्यात्मिक शक्ति का नेतृत्व करने में बहुत सहायता करती है, व्यक्तिगत और सामाजिक संबंधों में सद्भाव बनाए रखती है। एक नकारात्मक चरित्र बहुत खतरनाक हो सकता है; अपना चरित्र खराब मत करो. ब्रह्मचर्य (ब्रह्मचर्य) की अमूल्य संपत्ति को सुरक्षित रखें, जो स्वस्थ, संतुलित और आध्यात्मिक रूप से उन्मुख जीवन जीने में बहुत सहायता करती है।

विवाद

जून 2024 में, प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। मध्यप्रदेश में सीहोर जिले के कथावाचक प्रदीप मिश्रा ने एक कथा के दौरान कहा था, राधा रानी की जन्मस्थली बरसाना नहीं है। राधा जी रावल गांव की थीं और उनकी शादी छाता में हुई थी। राधा के पिता जी की कचहरी थी। यानी राधा जी के पिता वहां पर कोर्ट लगाते थे। इस बात पर प्रेमानंद महाराज ने प्रदीप मिश्रा को आड़े हाथ ले लिया हैं। उनका कहना है कि प्रदीप मिश्रा को कुछ अता-पता नहीं है ब्रज उपासना का। प्रदीप मिश्रा ने राधा तत्व को समझा ही नहीं है। उसे रसीकजनो का संग करना चाहिए और विधिवत तरीके से भागवत का अध्ययन करना चाहिए तब जाकर वह राधा तत्व को जान पाएगा। प्रेमानंद इस मुद्दे पर वायरल वीडियो में प्रदीप मिश्रा के लिए खड़ी भाषा का उपयोग करते हुए सुने जा सकते हैं। ब्रजवासियों में बढ़ा आक्रोश देखने को मिल रहा है। उन्होंने जगह जगह प्रदीप मिश्रा के पुतले जलाए गए, उसके खिलाफ एफ आई आर दर्ज की गई और सात दिन के भीतर उसको बरसाना आकर किशोरी जी के मंदिर में माफी मांगने को कहा। शब्दों में कहा है कि लाडली जू हमारा सम्मान है, हमारा सब कुछ है। हम उन्हीं के दम पर जीते हैं, कोई उनके बारे में गलत बोले, यह हम बर्दाश्त नहीं करेगें। उनकी इस बात पूरे ब्रज चौरासी के लोग उनके साथ आ खड़े हुए हैं। ब्रजवासियों में गुस्से की लहर हर जगह फैल गई है।

ग्रन्थसूची

  • ब्रह्मचर्य, 2019, प्रकाशक: सामान्य, भाषा: हिन्दी
  • एकांतिक वार्ता, 2019, प्रकाशक: सामान्य, भाषा: हिन्दी,
  • हित सद्गुरु देव के वचनामृत, 2020, प्रकाशक: श्री हित राधा केली कुंज ट्रस्ट वृन्दावन, भाषा: हिन्दी,
  • अष्टयाम सेवा पद्धति, 2020, प्रकाशक: श्री हित राधा केली कुंज ट्रस्ट वृन्दावन, भाषा: हिन्दी,
श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज
जन्मअनिरुद्ध कुमार पांडे 1972

सरसौलकानपुर नगर जिलाउत्तर प्रदेशभारत
धर्महिन्दू धर्म
राष्ट्रीयताभारतीय
संप्रदायराधावल्लभ संप्रदाय
आध्यात्मिक गुरुश्री हित गौरंगी शरणजी महाराज[3][4]
वेबसाइटस्वामी प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज

Ashram Timing ⌚

Ekantik Vartalap : 5:30am (entry time), 06:30am (start time)

Ekantik Darshan : 7:30am (entry time), 8:00am (start time)

Satsang : 3:00am (entry time), 4:15am (start time)

Kirtan : 6:15am (entry time) 6:30am (start time)

Morning Routine :

04:10 to 05:30am – Daily morning satsang by Pujya Maharaj Ji

05:30 to 06:30am – Shri Ji’s Mangala Aarti and Van Vihar

06:30 to 08:15am – Hit Chaurasi Ji (Mon, Wed, Thu, Sat, Sun) and Shri Radhasudha Nidhi Ji (Tues, Fri) recitation

08:15 to 09:15am – Shri ji’s Shringar Aarti, devotee list, Radha name sankirtan.

Afternoon Routine :

03:00 to 03:15pm – Dhoop Aarti

03:15 to 04:30pm – Daily Evening Speech Lesson

04:30 to 05:00pm – Devotee character

05:00 to 05:15pm – Evening Aarti

How To Meet Premanand Ji Maharaj

To meet Premanand Ji Maharaj, you must come to Shrihit Radha Keli Kunj Sant Niwas at 09:30 am a day before and register your name. and this registration is absolutely free.After registration you can meet Maharaj Ji in Ekantik Vartalap, Ekantik Darshan, Kirtan, and Satsang.

After registration, you will get a similar token with which you will have to go the next morning.To register, you will have to go to Radha Keli Kunj Ashram, for Online  Queries WhatsApp On 9102370603 ( this is not official no. of radha keli kunj ).

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

1 Comment

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